जीवन का प्रारंभ और अन्त एक पहेली है, नहीं, हम सब जानते हैं लेकिन भूल गये है। मानव सब याद रखें, तो वह कभी खुश नहीं रह सकता है । क्या तुम्हें याद है गर्भ में एक एक दिन कैसे कटा होगा? जिस दिन हममें आत्मा आई उस दिन कितना दर्द हुआ होगा वह काम, क्रोध, लोभ, मोह के जाल से घिरती गयी। जिस दिन मृत्यु होगी उस दिन भी बहुत दर्द होता, लेकिन मुझे लगता है उस दिन हमारी आत्मा बहुत खुश होती है वह इस संसार से मुक्ति चाहती है, वह तो बंधी हुई है लेकिन मानव मृत्यु से डरता है। मुझे तो यह अनुभव होता कि हम कल्पना है या वास्तव। हम काम, क्रोध, लोभ मोह ने यह संसार को बनाये रखा है, आत्मा को जकड़े रखा है। इस काल्पनिक या वास्तविक जीवन का आधार ही यह रखा गया होगा। मेरे यह समझ नहीं आता जो मैं हूं वो वास्तविक है या जो नहीं हूं। मनुष्य जब शान्त हो स्वयं से पूछें क्या वह सही / कर्म/ मन/ धैर्य/ सरल/ प्रेममय है वह स्वयं समझ जाता है लेकिन कोई स्वयं से क्यों प्रश्न करें। वह बाहरी दुनिया में खोया है। मन के अन्दर झांक कर लगता है सब शून्य है, नया जीवन, संसार, मन में है लेकिन आंख खोलते ही जिम्मेदारी और काम/ क्रोध/ लोभ/ मोह हमें अव...
जीवन का रहस्य
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इस दुनिया में सर्वप्रथम कर्मों का सृजन ऊर्जा के अनुसार विविधता को ध्यान में रखते हुए हुआ होगा।ऊर्जा जब वातावरण से मिल विचार में बदल गयी तब वो विचार कर्म बन आये। जिस ऊर्जा ने दुनिया बनायी रखी वो सकारात्मक और जो नष्ट की और ले गयी नकारात्मक। इस जन्म में जो कर्म का निर्माण होता वो हमारे वातावरण/ दोस्त / दर्शन से विचार में बदल कर्म बन जाते। कर्मो को सही दिशा के लिए अच्छा गुरु हो तो जीवन सफल उनके अनुभवों से नहीं तो वो कर्म हमारे भविष्य में काँटे बन साथ चलेंगे।हम जीवन में दुखी हो अपना जीवन खराब कर देंगे लेकिन जो विविधता होगी जीवन की उसको बनाये रखेंगे।यह हमारे हाथ में विविधता में सहयोग अच्छे कर्मों के साथ करे।
इला
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Nothing is impossible
Truth of life
जीवन का प्रारंभ और अन्त एक पहेली है, नहीं, हम सब जानते हैं लेकिन भूल गये है। मानव सब याद रखें, तो वह कभी खुश नहीं रह सकता है । क्या तुम्हें याद है गर्भ में एक एक दिन कैसे कटा होगा? जिस दिन हममें आत्मा आई उस दिन कितना दर्द हुआ होगा वह काम, क्रोध, लोभ, मोह के जाल से घिरती गयी। जिस दिन मृत्यु होगी उस दिन भी बहुत दर्द होता, लेकिन मुझे लगता है उस दिन हमारी आत्मा बहुत खुश होती है वह इस संसार से मुक्ति चाहती है, वह तो बंधी हुई है लेकिन मानव मृत्यु से डरता है। मुझे तो यह अनुभव होता कि हम कल्पना है या वास्तव। हम काम, क्रोध, लोभ मोह ने यह संसार को बनाये रखा है, आत्मा को जकड़े रखा है। इस काल्पनिक या वास्तविक जीवन का आधार ही यह रखा गया होगा। मेरे यह समझ नहीं आता जो मैं हूं वो वास्तविक है या जो नहीं हूं। मनुष्य जब शान्त हो स्वयं से पूछें क्या वह सही / कर्म/ मन/ धैर्य/ सरल/ प्रेममय है वह स्वयं समझ जाता है लेकिन कोई स्वयं से क्यों प्रश्न करें। वह बाहरी दुनिया में खोया है। मन के अन्दर झांक कर लगता है सब शून्य है, नया जीवन, संसार, मन में है लेकिन आंख खोलते ही जिम्मेदारी और काम/ क्रोध/ लोभ/ मोह हमें अव...
मेरे अनुभव
मुझे लगा कि जीवन की उत्पत्ति और अंत एक चुम्बक की तरह हैं, जो एक साथ जन्म लेते हैं और खत्म भी हो जाते हैं। मानव जीवन सभी योनियों में सर्वश्रेष्ठ है, क्योंकि हर योनि में कुछ न कुछ कमी रह जाती है, जो धीरे-धीरे दूसरी योनि में पूर्ण होती है। जब मानव जीवन मिलता है, तब हम सोच-समझ सकते हैं। मनुष्य का मन जरूर पूछता है—क्यों और कैसे? कोई इस पर ध्यान देता है, कोई नहीं। वैसे, यह जीवन हमें साकार रूप से निराकार को समझने के लिए ही मिला है। दुख और सुख हमें जीवन व्यतीत करने के लिए दिए गए हैं। अगर दुख में नींद आ रही है, तो समझिए कि दुख सामान्य है; यह समय के साथ दूर हो जाएगा। मेहनत करें, हो सकता है अच्छा परिणाम न मिले, लेकिन जो मेहनत के बाद परिणाम का इंतजार करता है, वह मन किसी सफल व्यक्ति से भी ज्यादा आनंद लेता है। जैसे ध्यान में जो खुशी मिलती है, उसे वही समझ पाता है जो अनुभव करता है। ध्यान में वह हर रिश्ता तोड़ देता है, सब छोड़ देता है, चिंता से मुक्त हो जाता है और चाहता है कि मैं खुद को जान पाऊं—यही उसे खुशी देता है। हर मनुष्य अपनी जगह महान है, क्योंकि वह विविधता बनाए रखता है। मैं भी दुखी बहुत रहती ह...
बहुत सुंदर विचार जय हो
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